Friday 22 February 2013

डांस मेरा फ़र्स्ट लव, एक्टिंग सेकेंड लव और डाइरेक्शन थर्ड लव : हेमा मालिनी

कभी ‘ड्रीम गर्ल’ के नाम  से पुकारी जाने वाली हेमा मालिनी आज भी लोगों की ‘ड्रीम’  बनी हुई हैं। तो यह आसान नहीं है। सत्तर के दशक  में वह राजकपूर की हिरोइन हो कर ‘सपनों का सौदागर’ में  आई थीं। फिर तो देवानंद, राजकुमार, धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, संजीव  कुमार, जितेंद्र, विनोद खन्ना  सरीखे अभिनेताओं की नायिका बनते-बनते वह ‘दिल आशना है’  की निर्देशिका बन बैठीं। दिल  आशना है में शाहरूख और दिव्या भारती को डाइरेक्ट किया।  कुछ टी.वी. सीरियल भी बनाए।  इन दिनों वह नृत्य नाटिकाएं करतीं देश भर में घूम  रही हैं। और फिर भी लोगों  की ड्रीम बनी हुई हैं। कोई ढाई दशक के अपने अभिनय  और नृत्य यात्रा के बाद  भी लोगों के दिलों में  ड्रीम बन कर रहना आसान नहीं है। पर हेमा मालिनी अभी  भी लोगों के दिलों पर राज  करती हैं। हेमा मालिनी की बातचीत में मद्रासी हिंदी और अंग्रेजी बदकती है। फ़िल्मों  में संवेदना, सौंदर्य और सलीका परोसने वाली हेमा मालिनी निजी बातचीत में बिंदास और खिलंदड़ हैं। पेश है हेमा मलिनी से बातचीतः

इन दिनों फ़िल्मों को गुड बाई क्यों कर रखा है आप ने?


-सच यह है कि मैं फ़िल्म करने आई ही नहीं थी। मुझे क्या पता था कि मैं स्टार हो जाऊंगी। मैं तो डांस करने गई थी पर हो गई स्टार। लेकिन इन दिनों स्टारडम से छुट्टी मिली है तो डांस कर रही हूं।

पर फ़िल्में करती हुई भी तो आप डांस कर सकती थीं?


-नहीं, फ़िल्मों को बिलकुल नहीं छोड़ा है। विनोद खन्ना की हिमालय पुत्र उन के बहुत इसरार पर कर रही हूं।

आप डांस भी करती हैं, एक्शन और डाइरेक्शन भी। इन तीनों में फ़र्स्ट लव आप का कौन सा है?

-नेचुरली डांस मेरा फ़र्स्ट लव है, एक्टिंग सेकेंड लव है और डाइरेक्शन थर्ड लव है।

इन दिनों आप डांस कर रही हैं लेकिन आप को लोग बतौर डांसर नहीं, बतौर एक्ट्रेस देखने आते हैं। आप को नहीं लगता कि आप अपने अभिनय  का जादू, उस का ग्लैमर, अपना फ़िल्मी नाम डांस में कैश करती हैं?

-बिलकुल करती हूं। नहीं हमसे भी अच्छे-अच्छे लोग हैं। पर उन्हें जनता देखने नहीं आती। लेकिन मुझे देखने आती है। तो इस लिए कि मैं एक्ट्रेस हूं। यह बात मुझे पता है। और इसमें बुरा भी क्या है अगर मैं अपने स्टारडम का फ़ायदा डांस में ले लेती हूं।

अभिनय और नृत्य के रिश्ते को थोड़ा सा तफ़सील देंगी कि इन दोनों के बीच आप कैसे निभाती हैं?


-आप को मैं ने बताया कि डांस मेरा फ़र्स्ट  लव है। पहले भी फ़र्स्ट लव था। और अब फिर फ़र्स्ट लव हो गया है। यह ठीक है कि लोगों ने मुझे बतौर एक्ट्रेस जाना। पर मैं अपने आप को  बतौर डांसर ही जानती हूं। अब क्या होता है कि आप बहुत सारी चीज़ें खाते हैं, बहुत सारे कपड़े पहनते हैं, बहुत सारी जगहों पर घूमते  हैं पर वह सारी की सारी चीज़ें आप को पसंद नहीं होतीं हैं। कोई-कोई चीज़ें ही पसंद आती हैं। कोई-कोई जगह, कोई-कोई कपड़ा ही आप को पसंद आता है। हर कोई नहीं। तो मैं भी जज़िंदगी में बहुत सारे काम करती हूं। और मुझे डांस ही पसंद आता है। मैं चाहती हूं कि लोग मुझे बतौर डांसर ही जानें।

आप ने गुलज़ार और रमेश सिप्पी जैसे दोनों तरह के निर्देशकों के साथ काम किया है। दोनों दो धाराएं हैं। इन दोनों में कौन सी धारा आप को पसंद आई?

-गुलज़ार, गुलज़ार हैं, सिप्पी, सिप्पी। मैंने तो दोनों के साथ इंज्वाय किया।

मेरा सवाल यह नहीं था। मैं पूछ रहा था कि इन दोनों धाराओं के सिनेमा में आप ने अपने को कैसे एडजेस्ट किया। क्यों कि दोनों दो बातें थीं?

-यह दोनों दो तरह की फ़िल्में बनाते हैं। दोनों की राह अलग है। पर मुझे क्या। मुझे तो एक्टिंग करनी थी। चाहे गुलज़ार कराते, चाहे सिप्पी मुझे क्या फ़र्क पड़ता। पर मैं समझती हूं कि आप यह जानना चाहते हैं कि कला फ़िल्म और व्यवसायिक फ़िल्म के बीच मैं ने कैसे तालमेल किया है। यही न।

बिलकुल यही बात।


-तो मेरे लिए फ़िल्म, फ़िल्म है। आप भी बनाइए आप के साथ भी काम कर लूंगी। मैं कामर्शियल और आर्ट के चक्कर में नहीं पड़ती। फ़िल्म फ़िल्म है। बस रोल ठीक होना चाहिए। हमें जहां जो रोल अच्छा लगा किया। चाहे सिप्पी हों, चाहे गुलज़ार।

तो क्या यही दो निर्देशक आप को पसंद हैं कि आप बार-बार इन्हीं का नाम ले रही हैं?

नहीं, आप ही बार-बार इन दोनों के बारे में पूछ रहे हैं।

तो आप का पसंदीदा निर्देशक कौन है?

-नहीं, मेरा यह कहना नहीं था कि यह दोनों मेरे पसंदीदा नहीं हैं। गुलज़ार और सिप्पी तो हैं ही, प्रमोद चक्रवर्ती भी मेरे पसंदीदा निर्देशक हैं।

पर इन में अपने आप को कहां बेहतर पाती हैं?


-बेहतर दोनों जगह होती है। पर आज-कल के डाइरेक्टरों के साथ क्या है कि वो हिरोइन बनाने पर लगे हैं। यह मुझे अच्छा नहीं लगता।

आप अपनी बेटियों को क्या फ़िल्म में आने देंगी?

-बेटियों को फ़िल्म में नहीं आने देंगे।

फिर भी अगर वह जाना चाहें?


-तो बोलूंगी नहीं।

फ़िल्म इंडस्ट्री के बारे में आप का क्या खयाल हैं?

-वंडरफुल। वंडरफुल इंडस्ट्री। वो कहते हैं न कि फ़िल्म इंडस्ट्री के बगैर कुछ चल ही नहीं सकता।

तो अपनी बेटियों को फ़िल्म में आने से क्यों रोकना चाहती हैं?

-तो क्या घर भर फ़िल्म ही करेगा।

बेटियां आज-कल कर क्या रही हैं?

-बड़ी आठवीं, छोटी पांचवीं में बंबई में ही पढ़ रही है।

हर बार लखनऊ आ कर आप चिकन के कपड़ों के लिए क्यों बेकरार हो जाती हैं?


-बेकरार तो हुई नहीं, बेकरार किया जाता है।

कौन करता है बेकरार?


-बंबई वाले।

तो पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए कपड़ा खरीद कर ले जा रही हैं?


-नहीं भई, घर परिवार है। भाभी हैं, बेटियां हैं। और इस से भी पहले खुद के लिए खरीदती हूं।

तो क्या बंबई में चिकन का कपड़ा नहीं मिलता?


-मिलता है, और यहां से अच्छा मिलता है। पर हर बार लखनऊ आ कर इस उम्मीद में चिकन के कपड़े लेती हूं कि और अच्छा मिल जाए।

बिहार के एक मुख्यमंत्री हैं लालू प्रसाद यादव। उन्हों ने एक बार कहा कि वह पटना की सड़कों को हेमा मालिनी की गाल की तरह बनवा देंगे। सुन कर आप को कैसा लगा?

-हमने तो सुना नहीं।

पर अखबारों में  यह बयान छपा है।

-अगर ऐसा है तो वह पागल है। उस को इलाज के लिए आगरा भिजवा देना चाहिए। मुख्यमंत्री होने के काबिल नहीं है।

हमारे समाज में दूसरी औरत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं मानी जाती। फिर भी आप ने धर्मेंद्र की दूसरी बीवी होना कुबूल किया।
-आप ठीक कह रहे हैं। धरम जी से मैं बेइंतहा प्यार करती हूं। पर दूसरी औरत बनने की गलती मैं कुबूल करती हूं। यह भी बता दूं कि यह कोई ऐसा काम मैं ने नहीं किया कि इस के लिए और लड़कियां मुझे आदर्श मानें। और मेरी राह पर चलें। मेरा कहना है कि मैं ने जो गलती कि वह बाकी लोग नहीं करें।  

[१९९५ में लिया गया इंटरव्यू]

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