Monday 4 January 2016

सत्ता का मीठा जहर है तुम्हारे पास जो मेरे पास नहीं है





ग़ज़ल
 
एक बड़ा सा कुतर्क है तुम्हारे पास जो मेरे पास नहीं है
सत्ता का मीठा जहर है तुम्हारे पास जो मेरे पास नहीं है

क़ानून , संविधान , संसद , अदालत सभी तुम्हारे पक्ष में
एक नैतिक साहस  है हमारे पास जो तुम्हारे पास नहीं है

फ़ैसला फांसी जल्लाद तिकड़म और ताक़त सब तुम्हारे हाथ में है
जीवन का हर्ष और उल्लास हमारे पास है जो तुम्हारे पास नहीं है

हर कोई जानता है कि दूध किसी भी का हो सफ़ेद होता है
काला दूध की ज़िद है तुम्हारे पास जो किसी के पास नहीं है

आतंकियों देशद्रोहियों को बचाने ख़ातिर मानवाधिकार है वकील हैं
 एन जी ओ हैं तुम्हारे पास जो एक शहीद के परिवार के पास नहीं है

तुम्हारे पास  रेत माफ़िया है दिन-रात नदी की जान लेने के लिए ले लो
नदी की जान बचाने ख़ातिर हमारे पास बादल है जो तुम्हारे पास नहीं है

फरक बहुत पड़ता है मेज़ के इस तरफ या उस तरफ होने से
रथ तुम्हारे पास है लेकिन राम हमारे पास  है जो तुम्हारे पास नहीं है

सिकंदर अकबर गोरी गजनवी अंगरेज सब अपने समय के विजेता थे
होगे ख़ुदा तुम भी बहुत बड़े बने रहो लेकिन खुदाई तुम्हारे पास नहीं है 

बहुत दिनों तक भाग्य विधाता कोई नहीं रह पाता इतिहास साक्षी है 
कुर्सी भी बदलती रहती है कुर्सी काटे का इलाज किसी के पास नहीं है

[ 4 जनवरी , 2016 ]

1 comment:

  1. सुन्दर व सार्थक रचना...
    नववर्ष मंगलमय हो।
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...

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