Tuesday 8 March 2016

बेटी को पेट में ही मार कर वह महिला दिवस मनाते हैं


फ़ोटो : गौतम चटर्जी


ग़ज़ल

यह हत्यारे लोग अपने पाखंड का हरदम जश्न मनाते हैं 
बेटी को पेट में ही मार कर वह महिला दिवस मनाते हैं 

औरत मर्द दोनों रंगे सियार हक़ीकत से आंख चुराते हैं
यह ज़ालिम हत्यारे हैं बेटी की हर क़दम बलि चढ़ाते हैं 

क़ानून इन के साथ है पाखंडी समाज और सारा सिस्टम
इन्हीं के दम पर ही सरे आम यह सब को मुंह चिढ़ाते हैं 

पौराणिक कहानियां भी इन का साथ देती हैं क्षण-क्षण 
धर्म के पंडे मौलाना भी मिल कर इन का मन बढ़ाते हैं 

जैसे औरत नहीं मिठाई हो और आदमी बेरहम कसाई
औरत को बाज़ार में बेच कर अपना प्रोडक्ट बनाते हैं

[ 8 फ़रवरी , 2016 ]

No comments:

Post a Comment